Yoga: Its origin, history and development. (❖योग की उत्पत्ति ❖योग का इतिहास ❖योग का विकास)






योग की उत्पत्ति

इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् | विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् || ४/१ (श्रीमद्भगवद्गीता )
एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदु: | स कालेनेह महता योगो नष्ट: परन्तप ||४/२ (श्रीमद्भगवद्गीता )

मैंने इस अविनाशी योग को विवस्वान् (सूर्य देवता) से कहा (सिखाया);  विवस्वान् ने मनु से कहा;  मनु ने इक्ष्वाकु से कहा।।
इस प्रकार परम्परा से प्राप्त हुये इस योग को राजर्षियों ने जाना, (परन्तु) हे परन्तप ! वह योग बहुत काल (के अन्तराल) से यहाँ (इस लोक में) नष्टप्राय हो गया।।

❖ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेकासीत । स दाधार पृथ्वीं ध्यामुतेमां कस्मै देवायहविषा विधेम ॥ (ऋग्वेद-10-121-1)

❖ हिरण्यगर्भो योगस्य वक्ता नान्यः पुरातनः। (बृहदयोगी याज्ञवल्क्य स्मृतिः 12/05)

❖ सांख्यस्य वक्ता कपिलः परमर्षिः स उच्यते। हिरण्यगर्भो योगस्य वक्ता नान्य: पुरातन: । (महाभारत : 12/349/65)

❖ इदं हि योगेश्वर योगनैपुणं हिरण्यगर्भो भगवाञ्जगाद यत्। (श्रीमद्भगवतम् : 05/19/13)

❖ श्री-आदि-नाथाय नमोऽस्तु तस्मै येनोपदिष्टा हठ-योग-विद्या । (हठयोगप्रदीपिका 1/1)


योग का इतिहास 

❖ पूर्व वैदिक काल (ईसा पूर्व 3000 से पहले)

❖ वैदिक काल (3000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व)

❖ पूर्वशास्त्रीय काल (500 ईसा पूर्व से 200 ईसा पूर्व तक)

❖ शास्त्रीय काल (200 ईसा पूर्व से 500 ई)

❖ मध्ययुग (500 ई से 1500 ई)

❖ आधुनिक काल 


योग का विकास

❖ वैदिक विकास काल 

❖ औपनिषदिक विकास काल 

 ❖दर्शन साहित्य विकास काल 

❖ टीकाओं का काल 

❖ हठयोग का विकास काल  

❖ भक्तियोग का विकास काल







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