Principles of Yoga and practices of healthy living. (❖योग के सिद्धांत ❖स्वस्थ जीवन के लिए योग अभ्यास)

 





योग के सिद्धांत -1

❖ शरीर पर नियंत्रण 

❖ श्वासों पर नियंत्रण 

❖ मन पर नियंत्रण 

❖ शरीर - श्वास - मन की तारतम्यता 


योग के सिद्धांत-2 


❖ समत्वं योग उच्यते ।  2.48 (श्रीमद्भगवद्गीता)

❖ योगः कर्मसु कौशलम् ।  2.50 (श्रीमद्भगवद्गीता)

❖ प्रत्येक अवस्था में संतुलन ।  6/17 (श्रीमद्भगवद्गीता)

❖ दैवीय गुणों का अर्जन । 16/1-3 (श्रीमद्भगवद्गीता)


योग के सिद्धांत - 3 

घट शुद्धि 

षट्कर्मणा शोधनं च आसनेन भवेद्दृढम् ।

मुद्रया स्थिरता चैव प्रत्याहारेण धीरता ॥ 

प्राणायामाल्लाघवं च ध्यानात्प्रत्यक्षमात्मनः ।

समाधिना निर्लिप्तं च मुक्तिरेव न संशयः ॥  (घेरण्ड संहिता - 1/10-11)


स्वस्थ जीवन के लिए योग अभ्यास 

❖ आहार 

❖ विहार 

❖ आचार 

❖ विचार 

❖ व्यवहार

आहार 

श्रीमद्भगवद्गीता 17.8

आयुःसत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः।।

आयु, सत्त्व (शुद्धि), बल, आरोग्य, सुख और प्रीति को प्रवृद्ध करने वाले एवं रसयुक्त, स्निग्ध ( घी आदि की चिकनाई से युक्त) स्थिर तथा मन को प्रसन्न करने वाले आहार अर्थात् भोज्य पदार्थ सात्त्विक पुरुषों को प्रिय होते हैं।।


विहार  

शौचसन्तोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः ॥ 
(योगसूत्र - 2.32)

आचार 
अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः ॥ 
(योगसूत्र - 2.30)

विचार 
शास्त्रसज्जनसम्पर्कवैराग्याभ्यासपूर्वकम्
सदाचारप्रवृत्तिर्या प्रोच्यते सा विचारणा ॥ 
(योगवाशिष्ठ - उत्पत्ति प्रकरण – 118.9)

स्वविषयासम्प्रयोगे चित्तस्वरूपानुकार इवेन्द्रियाणां प्रत्याहारः ॥ 
(योगसूत्र - 2.54)

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।
(श्रीमद्भगवद्गीता - 16.21)

व्यवहार
 
 
मैत्रीकरुणामुदितोपेक्षाणां सुखदुःखपुण्यापुण्यविषयाणां
भावनातश्चित्तप्रसादनम् ॥ 
(योगसूत्र - 1.33)




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