योग
योग को सहजता से जानने के लिए आवश्यक है, जीवन की सरलता। जीवन जितना सरल होगा आप योग के उतने ही समीप होंगे। योग जीवन के उन विचारों का पुंज मात्र है, जिन विचारों का लक्ष्य उन्नयन की स्वतंत्रता है। अब ये आप पर निर्भर करता है, कि आपका उन्नयन किस दिशा की ओर है। देश, काल, परिस्थिति भी सम्भवतः आपके उन्नयन को प्रभावित करें किन्तु आप देश, काल, और परिस्थिति के संघर्ष को कितनी सरलता से स्वीकार कर पाते हैं, ये निर्भर करता है, आपकी बुद्धि पर। बुद्धि का प्रवाह सकारात्मक भी हो सकता है, और नकारात्मक भी। अब ये भी आप पर निर्भर करता है, कि आप बुद्धि को सकारात्मक रखना चाहते हैं, या नकारात्मक। बुद्धि की नकारात्मकता से तात्पर्य ये बिल्कुल नहीं की आप विनाश के अभिलाषी है, अपितु नकारात्मक बुद्धि तो निहित है, विवेक की अभिलाषा पर - या तो आप विवेक के अभिलाषी हैं, या सामान्यतः नहीं।
तो आपके विवेक की अभिलाषा ही कारण है, आपकी सकारात्मक बुद्धि की- ये ही कारण है, आपके संघर्ष की क्षमता की - ये ही कारण है, आपके उन्नयन की दिशा की - ये ही कारण है, आपके स्वातंत्र्य विचारों की - ये ही कारण है, आपके जीवन की सरलता की - और ये ही कारण है, आपके योग की।
अतः विवेक की अभिलाषा को बनाये रखें क्योंकि यही योग प्राप्ति का मूल है।
प्रणाम सर!
ReplyDeleteअपने विचारों को एक प्लेटफॉर्म देने के लिए आपका हार्दिक आभार!
आपको कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा है|
आप हमेशा ही हमारे लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं| हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें आपकी छत्रछाया में रहने का सुअवसर प्राप्त हुआ, आपका मार्गदर्शन मिला और अब आगे भी हम आपके विचारों से सतत लाभान्वित होते रहेंगे|
बहुत-बहुत धन्यवाद सर |
Dhanyavad
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