Purushartha Chatushtaya and The goal of human life. (पुरुषार्थ चतुष्टय और मानव जीवन का लक्ष्य)

विवेक की अभिलाषा ही कारण है, आपकी सकारात्मक बुद्धि की- ये ही कारण है, आपके संघर्ष की क्षमता की - ये ही कारण है, आपके उन्नयन की दिशा की - ये ही कारण है, आपके स्वातंत्र्य विचारों की - ये ही कारण है, आपके जीवन की सरलता की - और ये ही कारण है, आपके योग की। अतः विवेक की अभिलाषा को बनाये रखें क्योंकि यही योग प्राप्ति का मूल है।